विद्या संबल नियमों में बदलाव का असर शिक्षकों पर दिखने लगा है। राजस्थान के 300 से अधिक कॉलेजों से कार्यकाल पूरा होने से पहले ही 2500 शिक्षकों को हटा दिया गया है। हाल यह है कि अभी भी कॉलेजों में 60 फीसदी से अधिक कोर्स अधूरा है।
60% कोर्स अब भी अधूरा, 1 जनवरी से कक्षाएं बंद, कैसे होगी पढ़ाई
शिक्षकों को हटाने के बाद स्टूडेंट्स की पढ़ाई का संकट खड़ा हो गया है। 1 जनवरी से इन कॉलेजों में पढ़ाई बंद है। यह वो कॉलेज हैं, जो कांग्रेस शासन में खुले थे या फिर उन्हें क्रमोन्नत किया गया है। कॉलेजों में शिक्षकों की कमी के कारण स्टूडेंट्स का कोर्स अधूरा है।
प्रदेश के सोसायटी कॉलेजों में कांग्रेस सरकार समय वर्ष 2022 में इस योजना के तहत अस्थायी शिक्षक नियुक्त किए गए थे। गौरतलब है कि कॉलेजों में विद्या संबल योजना में सितंबर 2023 में व्याख्याताओं की नियुक्ति की गई थी। इनका कार्यकाल 6 माह का था। इसे बाद में बढ़ाया गया। इन्हें प्रति व्याख्यान 800 रुपए का भुगतान किया गया।
व्याख्याताओं का अनुबंध 23 दिसंबर को समाप्त हो गया। इसके बाद कॉलेजों में शीतकालीन अवकाश हो गया। जब विद्यार्थी 1 जनवरी से कॉलेज पहुंचे तो व्याख्याता नहीं थे। विश्वविद्यालय का नियम है कि पहले सेमेस्टर से पहले हर विषय में 90 लेक्चर होना आवश्यक है।
जिसके तहत अब तक केवल 80 लेक्चर ही हुए है। वहीं तृतीय वर्ष का 40 प्रतिशत कोर्स शेष है। ऐसे में अनुबंध नहीं बढ़ने पर विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित होना तय है। गौरतलब है कि 9 जुलाई 2024 में हुई थी नियुक्ति कॉलेजों में विद्या संबल योजना के तहत 9 जुलाई 2024 में अस्थाई व्याख्याताओं की नियुक्ति हुई थी।