सीईटी स्नातक के रिजल्ट ने चौंकाया, 8.78 लाख को पात्रता मिलने से खत्म हुआ सीईटी का उद्देश्य
राज्य सरकार ने पेपर लीक जैसे मामले रोकने और भर्ती परीक्षाओं की मॉनिटरिंग आसान करने के लिए समान पात्रता परीक्षा (सीईटी) का प्रावधान लागू किया था, लेकिन इस बार सीईटी- 2024 की स्नातक में 11.64 लाख अभ्यर्थियों में 8.78 लाख अभ्यर्थियों ने पात्रता प्राप्त कर ली।
इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के पात्रता प्राप्त करने से इसके आयोजन के उद्देश्य पर ही सवाल खड़ा हो गया है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने भी नहीं सोचा था कि इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को पात्रता मिल जाएगी। अब सीईटी सीनियर सेकंडरी का रिजल्ट आने के बाद भी इसी तरह की स्थिति रहने के आसार हैं।
इसको देखते हुए एक बार फिर से सीईटी के पात्रता नियमों में बदलाव की कवायद प्रारंभ हो गई है। इसमें नेगेटिव मार्किंग लागू करने, रीट की तर्ज पर 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर पात्रता देने सहित कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। बोर्ड का मानना है कि नियमों में शिथिलता से इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को पात्रता मिल गई।
इससे सीईटी के आयोजन का मकसद पूरा होता नहीं दिख रहा है। इस कारण नियमों में बदलाव की जरुरत है। बोर्ड ने इसको लेकर कार्मिक विभाग को कुछ सुझाव भेजे हैं, ताकि पात्रता प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या कम रहे।
वर्तमान में पात्रता का यह नियम हैं लागूः वर्तमान में सीईटी में 40 प्रतिशत अंक (एससी-एसटी को 5 प्रतिशत की शिथिलता) प्राप्त करने वालों को पात्रता मिलती है। परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान भी नहीं है।
अब इन विकल्पों पर विचार
- रीट की तर्ज पर अंक प्राप्त करने पर पात्रता दी जाए।
- नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान लागू किया जाए।
- किसी एक सीमा तक अंक प्राप्त करने वालों को पात्रता दे दी जाए। जैसे 50 प्रतिशत या 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर।
रीट में पात्रता के लिए 36 से लेकर 60 प्रतिशत तक अंक होना जरूरी
रीट की पात्रता के लिए सामान्य को 60 प्रतिशत अंक, एसटी, एससी, ओबीसी, एमबीसी, ईडब्ल्यूएस को 55 प्रतिशत अंक, विधवा, परित्यक्ता महिला, भूतपूर्व सैनिक को 50 प्रतिशत अंक, दिव्यांग कैटेगरी को 40 प्रतिशत अंक, सहरिया जनजाति (सहरिया क्षेत्र) को 36 प्रतिशत अंक और एसटी टीएसपी में 36 प्रतिशत अंक प्राप्त करना जरूरी है।