मक्के की खेती को प्रोत्साहन: किसानों को 15,000 रूपये तक की सब्सिडी

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है कि भारत की केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्धारा बेरोजगार युवाओं, महिलाओं तथा किसानों के हितों के लिए अनेक प्रकार की योजनाएँ और प्रोत्साहन के कार्यक्रम चलाए जा रहे है। सभी किसान भाई जानते है की गेंहू, सरसों तथा चना आदि के बाद मक्का एक महत्वपूर्ण फसल है। सरकार की और से अब मक्का की फसल को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है।क्योकि इसकी खेती हर प्रकार की जलवायु में की जा सकती है। इसके लिए हाल ही में उत्तरप्रदेश की सरकार की और से किसानों की आय में वृद्धि करने की दृस्टि से मक्का की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। जिसके अंतर्गत मक्का का बीज खरीदने पर किसानों को प्रति क्विंटल 15000 रूपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम का उद्देश्य-

किसान साथियों हाल ही में उत्तरप्रदेश की सरकार ने मक्का खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों के लिए एक नई योजना त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम की शुरुआत की है। जिसके अंतर्गत किसानों की आय में वृद्धि करने की दृस्टि से मक्का की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की और से किसानों को मक्का की खेती करने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। इसके अंतर्गत मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की और से मक्का के बीज विभिन्न प्रकार के बीज मुहैया करवाए जा रहे है। जिसके लिए उत्तरप्रदेश सरकार की और से प्रति क्विंटल बीज पर 15000 रूपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इस कार्यक्रम में देशी पॉप कॉर्न, हाइब्रिड था स्वीट कॉर्न आदि के बीज सम्मिलित है।

त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम की शुरुआत का कारण-

किसान साथियों भारत पर्यटन की दृस्टि से एक बहुत ही प्रसिद्ध देश है। तथा देश में अत्यधिक मात्रा में पर्यटन वाले स्थानों पर आमतौर पर मक्का की मांग बहुत अधिक रहती है। इस मांग की आपूर्ति करने के लिए हाल ही में उत्तरप्रदेश की सरकार ने त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम की शुरुआत की थी। सरकार के द्धारा इस कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को मक्का की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जिसके लिए मक्का के बीज की खरीददारी पर किसान को प्रति क्विंटल 15000 रूपये की सब्सिडी उत्तरप्रदेश सरकार की और से प्रदान की जाएगी। इ

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स कार्यक्रम के द्धारा किसानों को मक्का की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की और से मक्का के उत्पादन और रखरखाव के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए कृषि वैज्ञानिक अलग-अलग स्थानों पर अनेक कैंप और गोष्ठियों का आयोजन कर रहे है। और किसानों को इससे कैसे लाभ प्राप्त होगा इस विषय पर लगभग एक सप्ताह पूर्व लखनऊ में एक राज्य स्तरीय कार्यशाला में इसकी चर्चा भी हुयी थी।

मक्का की खेती के लिए उत्तरप्रदेश सरकार का लक्ष्य-

किसान साथियों हाल ही में उत्तरप्रदेश की सरकार ने मक्का खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों के लिए एक नई योजना त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम की शुरुआत की है। जिसके अंतर्गत किसानों की आय में वृद्धि करने की दृस्टि से मक्का की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की और से किसानों को मक्का की खेती करने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। इसके साथ ही उत्तरप्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश में मक्का के उत्पादन को बढ़ाने की दृस्टि से वर्ष 2027 तक मक्का के उत्पादन को लगभग दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य के अनुसार वर्ष 2027 तक मक्का के उत्पादन को बढ़ाकर के लगभग 27.30 लाख मीट्रिक टन करने की रूप रेखा तैयार की है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वर्तमान मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश में मक्का के खेती के क्षेत्र में वृद्धि करने के साथ-साथ प्रति हैक्टेयर उत्पादन को बढ़ाने पर भी बल दिया जाएगा।

उत्तरप्रदेश में मक्का की खेती का क्षेत्रफल-

किसान साथियों उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी के द्धारा मक्का की खेती को प्रोत्साहित करने के इस उद्देश्य तथा मक्का के उत्पादन को बढ़ाने के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तरप्रदेश सरकार के द्वारा त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम के लिए लगभग 27.68 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया था। हाल ही में उत्तरप्रदेश में मक्का की खेती का क्षेत्र लगभग 8.30 लाख हैक्टेयर है। मक्का की खेती होने वाले इस 8.30 लाख हैक्टेयर क्षेत्र से मक्का का लगभग 21.16 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन प्राप्त होता है। मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्तरप्रदेश की राज्य सरकार के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान के अंतर्गत भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान इस कार्यक्रम को सफल बनाने की राह पर कार्य कर रहा है। उत्तरप्रदेश सरकार उत्तरप्रदेश में मक्का के उत्पादन को बढ़ाने की दृस्टि से वर्ष 2027 तक मक्का के उत्पादन को लगभग दोगुना करने का है।

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मक्का का उपयोग किन-किन कार्यों में होता है-

किसान साथियों सरकार के द्धारा इथेनॉल बनाने के उद्देश्य से मक्का की खेती को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है। और इथेनॉल के लिए मक्का का चुनाव इसलिए किया गया है क्योकि मक्का की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। और साथ ही इसका उत्पादन भी बहुत अधिक अच्छी मात्रा में होता है। किसान भाइयो हमरे देश में अभी कुल इथेनॉल का लगभग 50-51 प्रतिशत उत्पादन मक्का के द्धारा ही किया जा रहा है और बाकि 49-50 प्रतिशत का उत्पादन गन्ने तथा धान के द्धारा किया जा रहा है। और देश के किसानो को मक्का की फसल का दाम बहुत अधिक प्राप्त हो रहा है साथ ही देश की पेट्रोल के लिए अन्य देशो पर निर्भर होने की मात्रा में कमी आ रही है। और इस वर्ष के लिए सरकाआर ने इथेनॉल का लगभग 20 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया है।

किसान साथियों इसके अलावा मक्का की फसल का उपयोग कुक्कुट (मुर्गी) तथा पशु आहार, एल्कोहल, गोंद, दवाइयाँ, सौंदर्य प्रसाधन आदि बनाने में भी किया जाता है। इन सब के अलावा मक्का की फसल का उपयोग पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न, ढोकला तथा आटा आदि बनाने में भी किया जाता है।

मक्का की कटाई हेतु मशीन पर सब्सिडी-

किसान साथियों किसी भी फसल की खेती करने के बाद एक महत्वपूर्ण कार्यं होता है पकाव आने के बाद उस फसल की कटाई करना और उसको सुखाना। मक्का की फसल की कटाई करने के बाद उस फसल को सूखाने के लिए ड्रायर मशीन की आवश्यकता होती है। क्योकि जिस समय मक्का की फसल की कटाई की जाती है उस समय उस फसल में लगभग 30 प्रतिशत नमी की मात्रा उपलब्ध होती है। तथा किसान के पास मक्का की फसल को सुखाने के लिए कोई पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं होता है। इस स्थिति में ड्रायर मशीन की जरूरत पड़ती है। और एक ड्रायर मशीन को खरीदने में लगभग 14-16 लाख रूपये का खर्चा आता है। इसकी स्थिति में किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार की और ड्रायर मशीन पर लगभग 12 लाख रूपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

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किसान साथियों ड्रॉयर मशीन को किसान अकेले या उत्पादन संगठक बनाकर भी खरीद सकते है। ड्रायर मशीन के अलावा मक्का की बुवाई से लेकर के प्रोसेसिंग करने तक की मशीनों पर भी सब्सिडी उपलब्ध है तथा पॉपकॉर्न बनाने वाली मशीन पर भी सरकार की और से लगभग 10,000 रूपये की सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके साथ ही मक्का की खेती के लिए बेहतर तकनीक सीखने के लिए राज्य सरकार प्रगतिशील किसानो को भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थांन में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भेजती है।

मक्का की खेती के लिए उन्नत किस्में-

किसान साथियों हाल ही में उत्तरप्रदेश की सरकार ने मक्का खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों के लिए एक नई योजना त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम की शुरुआत की है। जिसके अंतर्गत किसानों की आय में वृद्धि करने की दृस्टि से मक्का की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की और से किसानों को मक्का की खेती करने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। मक्का की फसल सामान्यत 80 दिनों से 120 दिनों में तैयार हो जाती है। और पॉपकॉर्न की फसल लगभग 60 दिनों में ही तैयार हो जाती है। मक्का की खेती करने में सबसे पहला और प्रमुख चरण होता है अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार एक अच्छी किस्म का चुनाव करना। मक्का की खेती में बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित किस्मों का चुनाव कर सकते है-

  • कंचन-25
  • डंकल डबल
  • एनके-6240
  • गोल्ड
  • डीकेएस-9108
  • पिनैवला
  • डीएचएम-117
  • 900-एम
  • एचआरएम-1

मक्का पर कितनी MSP है –

किसान साथियों देश में मक्का के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। और यह सब सरकार एथेनॉल के लिए कर रही है। और इसके साथ ही पोल्ट्री उधोग भी फीड के पर्पज से पूरी तरह से मक्का पर निर्भर रहता है। और देश के किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने MSP पर फसल की घोषणा की है। इस वर्ष सरकारी खरीद पर मक्के का मूल्य 2225 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके अतिरिक्त, यदि किसान या व्यापारियों को बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, तो वे अपनी फसल को अच्छे मूल्य पर बेच सकते हैं। वर्तमान में मंडियों में मक्का का औसत दाम 2300-2400 रुपये प्रति क्विंटल हैं।

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