Centre’s approval on menstrual hygiene policy | मेन्स्ट्रुअल हाईजीन पॉलिसी पर केंद्र की मंजूरी: छात्राएं पीरियड्स के दौरान नहीं पहुंचती स्कूल, रिपोर्ट्स की माने तो 50 करोड़ महिलाओं के पास मेन्स्ट्रुअल हाईजीन की कोई पहुंच नहीं

4 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 10 अप्रैल, 2023 के एक आदेश का हवाला देते हुए स्कूल छात्राओं के लिए मेन्स्ट्रुअल हाईजीन पॉलिसी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 2 नवंबर को मंजूरी दे दी है।

स्कूलों में लड़कियों के लिए ‘मेन्स्ट्रुअल हाईजीन’ को बेहतर बनाने और सुविधा देने के लिए केंद्र सरकार ने नई पॉलिसी बनाई है। केंद्र सरकार 11 नवंबर को इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी।

दरअसल 10 अप्रैल 2023 में कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस लीडर और सोशल एक्टिविस्ट जया ठाकुर ने PIL (Public interest Litigation) यानी जनहित याचिका लगाई थी। जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों से क्लास 6 से 12 तक की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने और इसके साथ ही सभी गवर्नमेंट, गवर्नमेंट की मदद से चलने वाले प्राइवेट स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट की सुविधा की अपील की गई थी।

इसी अपील को देखते हुए ये पॉलिसी बनाई गई है और केंद्र सरकार ने बताया कि 2 नवंबर को इसको मंजूरी भी दे दी गई है। ये ऑर्डर स्कूल में छात्राओं के मेन्स्ट्रुअल हाईजीन को लेकर दिया गया था।

2 नवंबर को मेन्स्ट्रुअल हाईजीन को मंजूरी दे दी गई है।

मेन्स्ट्रुअल हाईजीन को लेकर फाइल की गईं थीं याचिकाएं

मेन्स्ट्रुअल हाईजीन के पेंडिंग मामलों को लेकर लगाए एफिडेविट के मुताबिक, इस पॉलिसी को लाने का उद्देश्य स्कूली छात्राओं के बीच मेन्स्ट्रुअल हाईजीन को लेकर समझ बढ़ाने और इसे लेकर सोच और व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सरकार के स्कूली सिस्टम में मेन्स्ट्रुअल हाईजीन को डेली एक्टिविटी में लाने के लिए ये पॉलिसी लाई गई है।

इस पॉलिसी को लाने का मकसद उन रुकावटों को दूर करना है, जो ‘मेन्स्ट्रुअल साइकिल’ के दौरान छात्राओं को स्कूल आने से रोकती हैं। अक्सर देखा जाता है कि स्कूल में साफ टॉयलेट और पैड्स दोनों ही नहीं होने की वजह से इन दिनों में छात्राएं स्कूल नहीं जाती हैं।

अपील में गवर्नमेंट, गवर्नमेंट की मदद से चलने वाले प्राइवेट स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट की सुविधा की मांग की गई थी।

See also  आरपीएससी एसआई भर्ती का नोटिफिकेशन जारी आवेदन 28 नवंबर से शुरू

रिपोर्ट में कहा; मेन्स्ट्रुअल हाईजीन के लिए एक बेहतर सर्वे सिस्टम बनाया जाए

जस्टिस जे बी पारदीवाला और पंकज मिथल की पीठ आज यानी 12 नवंबर को इस अपील पर सुनवाई करने वाली है।

इसके लिए स्कूलों में सर्वे सिस्टम को बेहतर बनाया जाना चाहिए और ये पता लगाना चाहिए कि इसे कैसे बेहतर किया जा सकता है।

इससे पता चल सके कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इसमें क्या सुधार किया जा सकता है, ताकि गवर्नमेंट और गवर्नमेंट की मदद से चलने वाले प्राइवेट स्कूलों में स्टूडेंट्स को मेन्स्ट्रुअल साइकिल से जुड़ी साफ-सफाई की जानकारी हो और इससे जुड़े प्रॉडक्ट्स मिल सकें।

केंद्र सरकार ने कहा, इस पॉलिसी का उद्देश्य नुकसान पहुंचाने वाले सोशल टैबू को खत्म करना और मेन्स्ट्रुअल साइकिल को सेफ बनाना है।

इस पॉलिसी में कहा गया है कि ये छात्राओं को इंडिपेंडेट बनाने में मदद करेगी।

पूरी दुनिया में मेन्स्ट्रुअल हाईजीन पर अवेयरनेस जीरो

UNICEF और WHO ने मेन्स्ट्रुअल साइकिल को लेकर मेन्स्ट्रुअल हाईजीन डे पर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें स्कूलों में लड़कियों को दी जाने वाले फैसिलिटी को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी।

रिपोर्ट के मुताबिक 50 करोड़ महिलाएं कभी पैड्स यूज नहीं करतीं

मेन्स्ट्रुअल हेल्थ एंड हाईजीन (MHM) के मुताबिक लगभग 50 करोड़ महिलाओं के पास मेन्स्ट्रुअल हाईजीन और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स (पैड्स,टैम्पोन)तक कभी नहीं पहुंच पाती हैं।

  • ​​​ भारत में किशोरियों में की स्थिति पर एक सर्वे में पाया गया कि टॉयलेट की कमी के कारण एक चौथाई लड़कियां मेन्स्ट्रुअल साइकिल के दौरान स्कूल नहीं जाती हैं (वैन ईजक एट अल. रिपोर्ट 2016)।
  • साउथ सूडान में, सर्वे किया गया टीनएज लड़कियों में से 57 प्रतिशत ने स्कूल में प्राइवेट चेंजिंग रूम की कमी के कारण पीरियड्स में घर पर रहने की बात कही (तामिरू एट अल. 2015)।
  • केन्या में एक रिसर्च में पाया गया कि पीरियड्स में 95 प्रतिशत लड़कियां एक से तीन दिन स्कूल नहीं जाती हैं, 70 प्रतिशत ने अपनी पढ़ाई पर असर की बात कही, और 50 प्रतिशत से अधिक ने पीरियड्स के कारण स्कूल में पिछड़ने की बात कही (मुचेराह और थॉमस 2017)।
  • बांग्लादेश में एक सर्वे में पाया गया कि सिर्फ 6 प्रतिशत स्कूल स्वास्थ्य और स्वच्छता पर शिक्षा देते हैं (विश्व बैंक 2017)।
  • घाना में सैनिटरी पैड प्रोग्राम में पाया गया कि छह महीने तक मुफ्त सैनिटरी पैड देने से और मेन्स्ट्रुअल साइकिल एजुकेशन कार्यक्रम के बाद, लड़कियों ने काफी कम स्कूल मिस किया (मोंटगोमरी एट अल. 2012)।
See also  PAN Card 2.0 Apply Online: पैन कार्ड 2.0: ऑनलाइन आवेदन करने की पूरी प्रक्रिया

36 प्रतिशत लड़कियों को अपने पहले पीरियड्स से पहले मेन्स्ट्रुअल साइकिल के बारे में पहले से जानकारी थी।

स्कॉटलैंड में 2020 में लाया गया पीरियड प्रोडक्ट्स फ्री प्रोविजन

स्कॉटलैंड में नवंबर 2020 में सर्वसम्मति से पीरियड प्रोडक्ट्स (फ्री प्रोविजन) स्कॉटलैंड ऐक्ट को मंजूरी दी। पीरियड प्रोडक्ट्स एक्ट के लागू होने पर प्रोडक्ट्स का वितरण काउंसिलों और एजुकेशन सेक्टर्स के जरिए से किया जाएगा । ये एक्ट लेबर पार्टी की एमएसपी मोनिका लेनन द्वारा पेश किया गया था, जो 2016 से पीरियड्स पावर्टी यानी गरीबी की वजह से पीरियड्स प्रोडक्ट नहीं खरीद पाने को लेकर मूवमेंट चला रही थीं।

2018 में, यंग स्कॉट के सर्वे के मुताबिक

रिसर्च में पाया गया कि ब्रिटेन में सर्वे में सामने आया कि की गई 64 प्रतिशत लड़कियां पीरियड्स की वजह से स्कूल नहीं जा पाती हैं।

447 मिलियन छात्रों के पास पीने का साफ पानी नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों में मेन्स्ट्रुअल प्रॉडक्ट्स हेल्थ और हाईजीन में सुधार के लिए दुनिया को तुरंत काम करने की जरूरत को बताता है। इन मुद्दों पर खुले तौर पर बात करके, हर स्कूली छात्रा मेन्स्ट्रुअल प्रोडक्ट्स, उससे जुड़ी साफ-सफाई और हाईजीन पर बात कर पाए। रिपोर्ट में स्कूलों में पानी और सफाई तक पहुंच भी शामिल है।

नवीनतम डेटा के अनुसार, आज 5 में से 1 बच्चे (447 मिलियन) को अभी भी अपने स्कूल में पीने का साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। 5 में से 1 को बेसिक सफाई नहीं मिल पा रही हैं (427 मिलियन), और 3 में से 1 बच्चे (646 मिलियन) को स्वच्छता से जुड़ी कोई भी सुविधा नहीं मिल पा रही हैं।

See also  Rajasthan BSTC 1st Year Time Table 2024 Deled 2nd Year Exam Date

2030 तक सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बुनियादी पेयजल के लिए प्रगति की वर्तमान दरों में दो गुना वृद्धि, बुनियादी स्वच्छता के लिए दो गुना वृद्धि और बुनियादी स्वच्छता सेवाओं के लिए चार गुना वृद्धि की आवश्यकता होगी। दुनिया में सिर्फ 30 देश हैं जहां मेन्स्ट्रुअल साइकिल को ट्रैक करने का प्रोसेस है।

यूपी PCS और RO/ARO पर छात्र आंदोलन जारी:नॉर्मलाइजेशन के जरिए धांधली जैसे 5 आरोप; आयोग परसेंटाइल मेथड पर विचार करने को तैयार

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के खिलाफ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में छात्रों का आंदोलन जारी है। अभ्यर्थी समीक्षा अधिकारी (RO), सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) और प्रांतीय सिविल सेवा (PCS) की परीक्षा पहले की तरह एक ही दिन में करवाने की मांग कर रहे हैं। सड़कों पर उतरे स्टूडेंट्स एक से ज्यादा शिफ्ट में एग्जाम करवाने और परसेंटाइल मेथड के जरिए नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया के खिलाफ हैं। छात्र यहां तक आरोप लगा रहे हैं कि नॉर्मलाइजेशन के जरिए आयोग अपने चहेतों की मदद करना चाहता है। पूरी खबर पढ़ें..

खबरें और भी हैं…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now