इस साल गेंहू की बुवाई ने बदला खेल, दाम बढ़ने का खतरा कम

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है कि खरीफ की फसलों के पकाव के दिन धीरे-धीरे नजदीक आ रहे है। केंद्र सरकार ने किसानों तोहफे के रूप में गेंहू की खेती करने वाले किसानो को बड़ी राहत देते हुए गेंहू की फसल की खरीद नये न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करने के की घोषणा कर दी है। हाल ही केंद्र सरकार ने रबी के विपणन वर्ष 2025-26 के लिए गेंहू के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 150 रूपये की वृद्धि करते हुए 2275 रूपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर के 2425 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है। जबकि गेंहू की फसल में औसत लागत तक़रीबन 1180 रूपये प्रति क्विंटल ही आती है। लेकिन इस साल गेंहू की बुवाई ने सारा खेल बदल दिया है।

इस साल गेंहू की बुवाई का आंकड़ा-

किसान साथियों इस वर्ष रबी की फसल के सीजन में गेंहू की फसल ने एक नया इतिहास बना दिया है। भारत के कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष देश में लगभग 325 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में गेंहू की बुवाई की गयी है। जो की गत वर्ष के रबी के सीजन से लगभग 6.60 लाख हैक्टेयर ज्यादा है। इस वर्ष भारत देश में गेंहू की फसल की बुवाई की मात्रा बहुत अधिक है। जिससे की गेंहू के उत्पादन में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। किसान साथियों सामान्य दृष्टि से गेंहू की बुवाई का क्षेत्र लगभग 313 लाख हैक्टेयर ही है। और इन आंकड़ों के अनुसार इस साल गेंहू की बुवाई का क्षेत्र बहुत ही अधिक अनुकूल माना जा रहा हैं। और गेंहू की बुवाई का यह आंकड़ा एक अनुमानित आंकड़ा है। इस वर्ष रबी की फसल का कुल बुवाई का आंकड़ा लगभग 661 लाख हैक्टेयर है जो की गत वर्ष में लगभग 651.39 लाख हैक्टेयर ही था।

इस साल गेंहू के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)-

किसान भाइयों इस वर्ष गेंहू के दाम लगभग पिछले 3 सालों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक रहा है। जिसके चलते इस वर्ष रबी के सीजन में गेंहू बुवाईकी मात्रा में बहुत अधिक अच्छी वृद्धि देखने को मिल रही है। हाल ही केंद्र सरकार ने रबी के विपणन वर्ष 2025-26 के लिए गेंहू के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 150 रूपये की वृद्धि करते हुए 2275 रूपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर के 2425 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है। जबकि गेंहू की फसल में औसत लागत तक़रीबन 1180 रूपये प्रति क्विंटल ही आती है।

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किसान साथियों केंद्र सरकार ने गेंहू की खेती करने किसानों को बड़ी राहत देते हुए गेंहू का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रूपये प्रति क्विंटल से 150 रूपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर के 2425 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है और साथ ही केंद्र सरकार ने गेंहू की खेती करने वाले किसानों को तोहफा देते हुए नए न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ साथ किसानों को 125 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से अतिरिक्त बोनस देने की घोषणा की है। इसके बाद विपणन वर्ष 2025-26 में गेंहू की सरकारी खरीद 2550 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से की जाएगी। जिससे गेंहू की खेती करने वाले किसानो को अपनी गए गेंहू की फसल का सरकारी बेचान करने पर 275 रूपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त लाभ होने वाला है।

इस साल गेंहू के उत्पादन का आंकड़ा-

किसान साथियों भारत देश के कृषि मंत्रालय के अनुसार गत वर्ष यानी की वर्ष 2023-24 में गेंहू की फसल की बुवाई का अंतिम आंकड़ा लगभग 342 लाख हैक्टेयर रहा था। जिससे लगभग 1133 लाख मीट्रिक टन गेंहू का उत्पादन प्राप्त किया गया था। और कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस वर्ष यानी की 2024-25 का गेंहू की बुवाई का अंतिम आंकड़ा आने पर पिछले वर्ष का रिकॉर्ड टूट सकता है। और हाल ही में भारत देश में गेंहू का औसत दाम लगभग 2950 रूपये चल रहा है जो की 2024-25 विपणन के लिए तय किये गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से लगभग 525 रूपये ज्यादा है।

किसान भाइयों गेंहू के सीजन की शुरआत के साथ ही गेंहू के भाव अब तक के सबसे उच्च स्तर तक पहुंच चुके है। भारत के गेंहू उत्पादन की दृष्टि से सबसे बड़े राज्य में गेंहू की कीमते 2900 रूपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुकी है। और मध्यप्रदेश के इंदौर में गेंहू की कीमत 3200 रूपये प्रति कविण्टल तक पहुंच चुकी है। और इस बढ़ते हुए भाव के अनुसार आज क्यास लगाए जा सकते है की आने वाले समय में गेंहू की कीमतों में और अधिक वृद्धि होने की सम्भावना है।

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इस साल अन्य रबी की फसलों में बुवाई के आंकड़े-

किसान साथियों भारत देश में रबी के सीजन में गेंहू के अलावा कुछ अन्य प्रकार की फसलों की भी बुवाई की जाती है। उन अन्य प्रकार की फसलों में मुख्य रूप से मक्का, तिलहन तथा दलहन की फसलें आती है।

इस साल मक्का की बुवाई के आंकड़े-

किसान साथियों मक्का एक मोटे अनाज का हिस्सा होता है। और इस वर्ष रबी के सीजन में मोठे अनाजों के बुवाई का रकबा लगभग 55.30 लाख हेक्टेयर बताया जा रहा है, जो की गत वर्ष की तुलना में लगभग 0.25 प्रतिशत कम है। रबी के सीजन में मक्का ककी बुवाई का क्षेत्र लगभग 24 लाख हैक्टेयर दर्ज किया गया है जी की गत वर्ष के बुवाई के क्षेत्र से लगभग 2 लाख हैक्टेयर ज्यादा है। और मक्का की बुवाई का क्षेत्र बढ़ने का सबसे मुख्य कारण इथेनॉल का उत्पादन।

किसान साथियों सरकार के द्धारा इथेनॉल बनाने के उद्देश्य से मक्का की खेती को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है। और इथेनॉल के लिए मक्का का चुनाव इसलिए किया गया है क्योकि मक्का की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। और साथ ही इसका उत्पादन भी बहुत अधिक अच्छी मात्रा में होता है। किसान भाइयो हमरे देश में अभी कुल इथेनॉल का लगभग 50-51 प्रतिशत उत्पादन मक्का के द्धारा ही किया जा रहा है और बाकि 49-50 प्रतिशत का उत्पादन गन्ने तथा धान के द्धारा किया जा रहा है। और देश के किसानो को मक्का की फसल का भाव बहुत अधिक प्राप्त हो रहा है साथ ही देश की पेट्रोल के लिए अन्य देशो पर निर्भर होने की मात्रा में कमी आ रही है। और इस वर्ष के लिए सरकाआर ने इथेनॉल का लगभग 20 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया है।

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इस साल तिलहन फसलों का बुवाई का आंकड़ा-

किसान साथियों तिहलन की फसल भी रबी की फसल के अंतर्गत ही आती है। लेकिन इस वर्ष रबी की फसल की बुवाई के आंकड़ों में कमी देखने को मिल रही है। जिसका सबसे मुख्य कारण है किसानों को तिलहन की फसलों का उनकी मेहनत के अनुसार दाम ना मिल पाना। जिसके कारण किसान भाई तिलहन की फसलों की बुवाई में अपनी रूचि नहीं दिखा रहे है। इस साल तिलहन की फसलों के बुवाई का का आंकड़ा लगभग 97.50 लाख हैक्टेयर दर्ज किया गया है जो की गत वर्ष के तिलहन के बुवाई के आंकड़ों से लगभग 1.80 लाख हैक्टेयर कम है।

किसान साथियों गत वर्ष के रबी के सीजन में तिलहन की फसलों का बुवाई का आंकड़ा लगभग 99.30 लाख हैक्टेयर था। इस वर्ष रबी के सीजन में सरसों की बुवाई लगभग 89.30 लाख हैक्टेयर दर्ज की गयी है जो की गत वर्ष की तुलना में लगभग 2.53 लाख हैक्टेयर कम है। और इसके साथ ही इस वर्ष मूंगफली की बुवाई लगभग 3.65 लाख हैक्टेयर दर्ज की गयी है जो की गत वर्ष की तुलना में लगभग थोड़ी सी मात्रा में ही अधिक है।

इस साल दलहन फसलों का बुवाई आंकड़ा-

किसान साथियों दलहन की फसल भी रबी की फसल के अंतर्गत ही आती है। इस वर्ष देश में दलहन की फसलों की बुवाई का आंकड़ा लगभग 140.90 लाख हैक्टेयर दर्ज किया गया है। जो की गत वर्ष के दलहनों की बुवाई के आंकड़ों से लगभग 03.10 लाख हैक्टेयर अधिक है। गत वर्ष के रबी के सीजन में दलहन फसलों की बुवाई का आंकड़ा लगभग 137.80 लाख हैक्टेयर दर्ज किया गया था। इस वर्ष रबी के सीजन में चने की बुवाई लगभग 98.55 लाख हैक्टेयर दर्ज की गयी है जो की गत वर्ष की तुलना में लगभग 2.68 लाख हैक्टेयर अधिक है।

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